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10 मजेदार कहानियां - Hindi kahani | हिंदी कहानियां प्रेरणादायक |
Jai shree ram dosto मेरा नाम हिमांशु है aj me aap ke लिए हिंदी में कहानियां ले कर आया हु जो की सच्ची गठन पर आधारित है, अगर आप को ये कहानियां अच्छी लगे तो हमरे पेज को फॉल और लाइक और कमेंट जरुर कीजिएगा thank you 💕
1. आधा सच : प्रेरक कहानी | Hindi kahani with moral
एक शॉपिंग मॉल में दो आदमी काम करते थे एक का नाम मित्तल और दूसरे का नाम अमित था। दोनो 5 सालों से उस मॉल में एकसाथ मिलकर काम करते थे और दोनो ही अपने काम में काफी ईमानदार थे। उस मॉल में एक नियम था की वहां हर दिन किसी एक आदमी को वहां घटनेवाली घटनाएं एक डायरी में लिखनी होती थी जो सीधे उसके मालिक द्वारा पढ़ी जाती थी।
2. संघर्ष क्यों जरूरी है?
एक शख्स बगीचे में बैठा था। अचानक पेड़ से नीचे एक कोकून आ गिटा नन्हीं तितली उससे बाहर आने की कोशिश कर रही थी। व्यक्ति घंटों बैठा उसे देखता रहा । उससे रहा नहीं गया। उसने तितली की मदद का फैसला कर लिया। पास रखी छोटी कैंची से उसने कोकून के एक हिस्से को काट दिया, ताकि तितली आसानी से बाहर आ सके। तितली तो बाहर आ गई, लेकिन अविकसित। बिना एक पंखे के। उसका पिछला हिस्सा भी कुछ फूल गया था। अब वह कभी उड़ नहीं सकती थी। दरअसल, उस शख्स ने यह नहीं सोचा कि संघर्ष भी जीवन की एक प्रक्रिया है। उसने तितली के संघर्ष को ही समाप्त कर दिया। और ऐसा करके उसने, तितली का जीवन हमेशा के लिए बर्बाद कर दिया। संघर्ष हमारी ताकत को बढ़ाता है। हमारे बच्चे भी तितली की ही तरह हैं। उनके जीवन में आए संघर्षो को आप सिर्फ देखें, लेकिन उन संघर्षो को समाप्त ना करें, वरना यह आपके बच्चों के संघर्ष की क्षमता को ही खत्म कर देगा।
सीख - संघर्ष भी जीवन का एक हिस्सा है। वही हमें संपूर्णता देता है।
3. असली मित्र .
एक व्यक्ति था, उसके तीन मित्र थे। एक ऐसा जिससे वह प्रतिदिन मिलता था। दूसरा ऐसा था जिसे वह प्यार करता था अवश्य, पर मिलता था एक दो सप्ताह में। और तीसरा ऐसा था जिसे वह महीनों के बाद कभी-कभी मिलता था। एक बार इस व्यक्ति पर मुकदमा बन गया। वकील ने कहा मुकदमा बहुत सख्त है। तो ऐसा गवाह तैयार करो जो कहे कि तुम्हें जानता है और तुम पर लगे आरोप को गलत समझता है। वह व्यक्ति अपने पहले मित्र के पास गया। बोला- एक मुकदमा बन गया है मेरे ऊपर, तुम चलकर मेरे पक्ष में गवाही दो । मित्र ने कहा देखो भाई तुम्हारी मेरी मित्रता अवश्य है, लेकिन गवाही देने के लिए मैं तुम्हारे साथ एक पग भी नहीं जा सकता । निराश हुआ, दुखी भी हुआ। तभी उसे दूसरे व्यक्ति बहुत का विचार आया। उसके पास जाकर गवाही लिए कहा। ये मित्र बोला- मैं तुम्हारे साथ कचहरी के द्वार तक तो चल सकता हूँ लेकिन गवाही नहीं दूँगा । ये फिर दुखी हुआ। फिर उसे अपने तीसरे मित्र का ख्याल आया जिसे वह महीनों बाद थोड़ी देर के लिए मिलता था । उसे अपनी बात कही। तीसरे मित्र ने जोश के साथ कहा- मैं चलूंगा तेरे साथ, तेरे पक्ष में गवाही दूँगा और मेरा दावा है कि यह मुकदमा समाप्त हो जाएगा, तू बरी हो जाएगा। परन्तु वह मित्र कौन है? वह है आत्मा । पहला मित्र है - धन, संपत्ति, भवन, भूमि जिन्हें मनुष्य अपना समझता है और जिनके लिए रातदिन हर समय चिंता करता है। दूसरा मित्र है ये सम्बन्धी, रिश्तेदार, पत्नी, बच्चे, भाई, बहन जिनके लिए मनुष्य प्रत्येक कष्ट उठाता है। तीसरा मित्र है प्रभु- प्रेम और शुभ कर्म, जो प्रभु प्रेम के कारण किए जाते
4. सच्ची घटना
रात के ढाई बजे था, एक सेठ को नींद नहीं आ रही थी, कार निकाली मंदिर में जाकर भगवान के पास बैठता है और प्रार्थना करता है, एक दूसरा आदमी भगवान की मूर्ति के सामने बैठा था, मगर उसका उदास चेहरा, आंखों में करूणा दर्श रही थी। सेठ ने पूछा " क्यों भाई इतनी रात को मन्दिर में क्या कर रहे हो ?" | आदमी ने कहा "मेरी पत्नी अस्पताल में है, सुबह यदि उसका आपरेशन नहीं हुआ तो वह मर जायेगी और मेरे पास आपरेशन के लिए पैसा नहीं है। उसकी बात सुनकर सेठ ने जेब में जितने रूपए थे वह उस आदमी को दे दिए। अब गरीब आदमी के चहरे पर चमक आ गईं थी, सेठ ने अपना कार्ड दिया और कहा इसमें फोन नम्बर और पता भी है और जरूरत हो तो निसंकोच बताना, उस आदमी ने कार्ड वापिस दे कर कहा | मेरे पास उसका पता है इस पते की जरूरत नहीं आश्चर्य से सेठ ने कहा "किसका पता है भाई "उस गरीब आदमी ने कहा- जिसने रात को ढाई बजे आपको यहां भेजा उसका भगवान मदद जरूर करता है, दिल से दुआ करी
5. रामायण की महिमा
हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुंचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया, तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए, चौंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और कहा महाराज आप बड़े है वरपक्ष वाले है ये उलटी गंगा कैसे बहा रहे है, इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुन्दर बात कही, महाराज आप दाता है, कन्यादान कर रहे है, मैं तो याचक हूँ आपके द्वारा कन्या लेने आया हूँ, अब आप ही बताइएं दाता और याचक में कौन बड़ा है? यह सुनकर जनक जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली, भाग्यशाली है वो जिनके घर होती है बेटियां, हर बेटी के भाग्य में पिता होता है, लेकिन हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती।
6. जीवन सत्य
लोहा नरम होकर औज़ार बन जाता है। सोना नरम होकर जेवर बन जाता है। मिट्टी नरम होकर खेत बन जाती है। आटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है। ठीक इसी तरह इंसान भी नरम हो जाए तो लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लेता है
7. प्रयास करो तमाशा मत देखो
एक गाँव में आग लग गई। आग बढ़ती जा रही थी और गाँव वाले अपनी जान बचाने हेतु इधर-उधर भाग रहे थे। एक चिड़िया ने यह दृश्य देखा और अपनी चोंच में पानी भरकर आग बुझाने का प्रयास करने लगी। वो बार-बार अपनी चोंच में पानी लाती और आग पर डालती। जब गाँव वालों ने चिड़िया को आग पर पानी डालते देखा तो उनमें भी जोश आ गया और बोले कि अगर ये चिड़िया प्रयास कर रही है तो हम क्यों नहीं कर सकते। सबने प्रयास किया और आग बुझ गई। ये सब एक कौआ देख रहा था। उसने चिड़िया से कहा कि तेरे पानी डालने से कुछ होना तो था नहीं, फिर तू ये क्यों कर रही थी? चिड़िया बोली, मेरे पानी डालने से कुछ हुआ या नहीं हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि जब भी इस आग की बात होगी तो मेरी गिनती आग बुझाने वालों तेरी तरह तमाशा देखने वालों में नहीं।
8. मृत्यु का समय
तुम्हें अगर पता चल जाए कि आज सांझ ही मर जाना है, तो क्या तुम सोचते हो, तुम्हारे दिन का व्यवहार वही रहेगा जो इसे ना चलने पर रहता? क्या तुम उसी भांति दुकान जाओगे? उसी श्रीजी की चरण सेवा भांति ग्राहकों का शोषण करोगे? क्या उसी भांति व्यवहार करोगे, जैसा कल किया था? क्या पैसे पर तुम्हारी पकड़ वैसे ही होगी, जैसे एक क्षण पहले तक थी? क्या मन में वासना उठेगी, काम जगेगा? सुन्दर स्त्रियाँ आकर्षित करेंगी? राह से गुजरती कार मोहित करेगी? किसी का भवन देख कर ईर्ष्या होगी? नहीं, सब बदल जाएगा। अगर मौत का पता चल जाए कि आज ही सांझ हो जाने वाली है, तुम्हारी जीवन का सारा अर्थ, तुम्हारे जीवन का सारा प्रयोजन, तुम्हारे जीवन का सारा ढंग और शैली बदल जाएगी। मौत का जरा सा भी स्मरण तुम्हें वही न रहने देगा जो तुम हो।मृत्यु तो अटल सत्य है फिर यदि हर दिन को अन्तिम दिन मानकर जियेंगे तो जीवन का सार ही बदल जायेगा।
जय जय श्री राधे
9. बुरे की पहचान
... एक राजा को जब पता चला कि मेरे राज्य मे एक ऐसा व्यक्ति है जिसका सुबह- सुबह मुख देखने से दिन भर भोजन नही मिलता है। सच्चाई जानने के इच्छा से उस व्यक्ति को राजा ने अपने साथ सुलाया। दूसरे दिन राजा की व्यस्तता ऐसी बढ़ी कि राजा शाम तक भोजन नही कर सका। इस बात से क्रुद्ध होकर राजा ने उसे तत्काल फाँसी का दण्ड देने का का ऐलान कर दिया।
आखिरी इच्छा के अंतर्गत उस व्यक्ति ने कहा - "राजन ! मेरा मुँह देखने से आप को शाम तक भोजन नही मिला, किन्तु आप का मुँह देखने से मुझे मौत मिलने वाली है।"इतना सुनते ही लज्जित राजा को सन्त वाणी याद आ गई। बुरा जो देखण मैं चला, बुरा न मिलया कोय। जो दिल खोजा आपणा, मुझ से बुरा न kare
जय जय श्री राधे
10. भक्त भाव
एक भक्त थे, उन्होंने 20 साल तक लगातार भगवत गीता जी का पाठ किया। अंत में भगवान ने उनकी परिक्षा लेते हुए कहा- 'अरे भक्त ! तू सोचता है की मैं तेरे गीता के पाठ से खुश हूँ, तो ये तेरा वहम है। मैं तेरे पाठ से बिलकुल भी प्रसन्न नही हुआ।' जैसे ही भक्त ने सुना तो वो नाचने लगा, और झूमने लगा। भगवान ने कहा- 'अरे! मैंने कहा कि मैं तेरे पाठ करने से खुश नही हूँ- 'तू नाच रहा है।' भक्त बोला- 'भगवन् ! आप खुश हो या नहीं हो ये बात मैं नही जानता। लेकिन मैं तो इसलिए खुश हूँ की आपने मेरा पाठ कम मे कम सुना तो सही, इसलिए मैं नाच रहा हूँ।'
जय जय श्री राधे